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कैरम बोर्ड खेलने के नियम

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भारत में कई तरह के खेल खेले जाते हैं, कुछ घर में तो कुछ बाहर। जिनमें से एक प्रसिद्ध खेल कैरम बोर्ड है। लगभग देश के प्रत्येक घर में कैरम बोर्ड ज़रूर मिल जाएगा। कुछ वर्ष पहले जब इंटरनेट का इतना प्रभाव इतना नहीं था टेलीविज़न का प्रचार नहीं था तो एक नियम था कि बच्चे अपने ननिहाल और ददिहाल गर्मियों की छुट्टियों में ज़रूर जाते थे क्योंकि यही वो समय होता था जब बच्चों की आउटिंग होती थी। आज की तरह एकल परिवार का इतना चलन नहीं था परिवार के सभी सदस्य विदेशों और हिल स्टेशन से अच्छा परिवार के साथ समय गुजरना चाहते थे। एयरकंडिशनर तो होता नहीं था, वाटर कूलर भी बहुत सम्भ्रांतों के घर पर ही होते थे तो ऐसे समय दोपहर को ख़ासकर बच्चे इकट्ठे होकर घर के अन्दर कैरम बोर्ड, लुडो, शतरंज, ताश, साँप सीढ़ी तो लड़कियाँ गोटी इत्यादि खेलते रहते थे। बाहर गर्मी के कारण जा नहीं सकते थे। अभी भी पुराना कैरम बोर्ड ददिहाल ननिहाल के पुराने घरों में ज़रूर मिल जाएगा। कैरम बोर्ड का प्रचलन कितना था इसी से अन्दाज़ लगाया जा सकता है।

शायद रोज़ की आपा धापी में नियम भूल गया होंगा तो बच्चों को या नयी पीढ़ी को तो बताना मुश्किल होता है तो इस लेख से जानकारी प्राप्त हो जायेगी। नयी पीढ़ी को पता चलेगा नियम कैरम बोर्ड खेलने के नियमों के बारे में जानने से पहले यह समझ लेना अच्छा होगा कि यह कैरम बोर्ड है क्या ? और इसे खेलने के लिए क्या चीजें चाहिए। कैरम बोर्ड साधारणतया बाजार में उपलब्ध है। कैरम बोर्ड खेलने की शुरुआत कैसे की जाए, उसको खेलते समय किन नियमों का पालन किया जाए तथा उसको खेलने के बाद क्या कुछ करना होता है, इन सभी बातों के बारे में यहाँ चर्चा कर रहे हैं।

कैरम बोर्ड में जो चीज़ सबसे पहले आती है वह खुद कैरम बोर्ड होता है। कैरम बोर्ड वर्गाकार क्षेत्र का बना होता है। ताकि हर ओर से खिलाड़ी सामान रूप से खेल सके। चूँकि कैरम बोर्ड को एक बारी में दो या 4 व्यक्ति ही खेल सकते हैं तो इसी कारण इसे कोई अन्य स्वरूप देने की बजाये वर्गाकार आकार दिया गया है।इसके चारों कोनो में चार छेद होते हैं जो गोटियाँ जाने के लिए रखे जाते हैं। ये सामान्यतः लकड़ी, प्लाईबोर्ड का बना होता है। सतह पर चारों तरफ़ दो लकीरें बनी होती है जो बॉर्डर से लगभग पाँच सेंटीमीटर अंदर होती है।चारों कोनों पर एक तीर का निशान बना होता है जिस से अनुमान लगता है की गोटियों को छेद में यही से डालना होता है। बीच में एक सर्किल बना होता है जिसके केंद्र में एक लाल रंग का गोला बना होता है और उसके बाहर एक बड़ा सर्किल का मार्क चारों तरफ़ बना होता है। केंद्र के लाल गोले और बाहर के सर्किल की साइज कैरम बोर्ड के साइज के अनुपात में बना होता है सर्किल का साइज इतना बड़ा होता है जिसमे पूरे अठारह गोटियाँ लगायी जा सके तथा बीच में क्वीन या लाल गोटी लगती है। कैरम बोर्ड में आने वाली रंगीन गोटियाँ भी बहुत महत्वपूर्ण हैं। गोटियों तीन अलग-अलग रंग होते हैं। काला, पीला और लाल। लाल रंग की एकमात्र गोटी, जिसे रानी (क्वीन) कहा जाता है, सबसे महत्वपूर्ण है।पीली गोटियाँ नौ होती हैं और काले गोटियाँ भी नौ होती हैं। इसके अलावा स्ट्राइकर होता है जो गोटियों के आकार से बड़ा और भारी होता है ताकि गोटियों पर स्ट्राइक करके उन्हें उन्हें छेद में डाल सके। खिलाड़ी स्ट्राइकर के माध्यम से खेलता है। इसका मतलब यह है कि जब बारी आती है, तो उस स्ट्राइकर को कैरम बोर्ड के अपने खाने से अपनी उँगली और अंगूठे से इस तरह से ताक़त से खसकाते हैं की वो बोर्ड के सतह से चिपका हुआ मन वांछित गोटी पर स्ट्राइक करे और गोटी को छेद में ले जाये। जो खिलाड़ी पहले अपने कलर को गोटियों को पहले छेद में डाल दे वही जीतता है। कैरम बोर्ड खेलने का सबसे महत्व पूर्ण नियम है कि खेल शुरू होने के बाद किसी भी गोटी को हाथ से छूना मना होता है और ना ही उसे हिला सकते हैं। यहाँ स्ट्राइकर ही हाथ है और उसी के द्वारा बोर्ड पर कोई भी हलचल किया जा सकता है।

बारी आने पर स्ट्राइकर का इस्तेमाल करके उससे काली या पीली गोटी, (एक खिलाड़ी को काली गोटी और दूसरे को पीली गोटी) से खेलना होता है। लाल गोटी कॉमन होती है और दोनों तरफ़ के खिलाड़ी उसे अपने क़ब्ज़े यानी पहले छेद में डालने का प्रयास करते हैं। यहाँ एक - एक खिलाड़ी भी खेल सकते हैं और दो - दो खिलाड़ी भी ग्रुप बना कर खेल सकते हैं। खिलाड़ी स्ट्राइकर से केवल सामने ही मार सकते हैं, ना कि पीछे की ओर। हाँ कही कही पहले से तय करने पर बॉर्डर के अंदर की गोटियों को भी टच स्ट्राइकर से करने की प्रथा है। यदि स्ट्राइकर को मारने पर वह छेद में चला जाता है तो यह फ़ाउल होता है। पहला फ़ाउल हरेक खिलाड़ी के लिए माफ़ होता है लेकिन अगले फ़ाउल पर जीती गोटियों में से कोई एक गोटी वापस बोर्ड पर रखनी होती है।

यदि खाने की किसी लाइन पर जो कैरम बोर्ड में बनी हुई है उस पर कोई गोटी पड़ी है तो उसे सीधे स्ट्राइकर की सहायता से नहीं मार सकते हैं, अन्यथा यह फ़ाउल माना जाएगा।यदि उँगली या अंगूठे से स्ट्राइकर को जरा सा भी टच बोर्ड पर खेल के दौरान हो गया तो वह बारी पूरी मान ली जाएगी और इसके लिए अगला मौका नहीं मिलता है फिर टर्न दुबारा आने पर ही चांस मिलता है।यदि कोई गोटी उछल कर कैरम बोर्ड से बाहर गिर जाती है तो उसे फिर से उसी जगह नहीं रखा जाता है बल्कि उसे कैरम बोर्ड के एकदम बीच में लाल वाली जगह पर रखा जाता है।यदि फ़ाउल के रूप में किसी गोटी को वापस बोर्ड पर रखते हैं तो उस गोटी को भी कैरम बोर्ड के बीच में ही लाल रंग वाली जगह ही रखा जाता है।

कैरम बोर्ड में लाल गोटी अर्थात रानी गोटी को निकालने के अलग नियम होते हैं। वह सीधे नहीं निकल सकती है। कैरम बोर्ड में लाल गोटी जीतनी है और उसे स्ट्राइकर से छेद में भेज दिया है तो इसके बाद एक और स्ट्राइक मिलती है और अगर खिलाड़ी अपने पक्ष की गोटी को छेद में डालने में सफल होता है तभी लाल गोटी जीता हुआ माना जाता है अन्यथा लाल गोटी पुनः वापस बीच में लाल जगह पर रख कर खेल शुरू होता है।  कैरम बोर्ड में किस गोटी के कितने अंक होते हैं इसको लेकर अलग अलग लोगों के द्वारा अपनी सहूलियत के अनुसार अलग अलग अंक बनाये गए हैं किन्तु सभी का सार एक ही है। कोई लाल गोटी के पांच अंक रखता है तो कोई पचास तो कोई पांच सौ।। किसी भी गोटी के अंक दूसरी गोटी से कितने गुणा अधिक है यही निर्भर करता है।

कैरम बोर्ड की गोटियों में जो काले रंग की गोटी होती है, उसके अंक सबसे कम होते हैं जिसे 1, 10 या 100 अंक दे सकते हैं। अधिकतर जगहों पर इस गोटी के 10 अंक रखे जाते हैं। पीली  गोटीयों के अंक काली वाली गोटी से दोगुना होते हैं। इस अनुसार यदि काली गोटी का एक अंक है तो पीली गोटी के 2 होंगे, काली के 10 हैं तो पीली के 20 होंगे और यदि काली 100 अंकों की है तो पीली 200 अंकों की होती है।

खेल की सबसे बड़ी और महत्वपूर्ण गोटी लाल रंग वाली होती है, उसके अंक सबसे ज्यादा होते हैं। लाल गोटी के अंक काली गोटी से पांच गुणा और पीली गोटी से ढाई गुणा ज्यादा होते हैं। ऐसे में पहले वाली स्थिति में लाल गोटी पांच अंक की, दूसरी स्थिति में 50 अंक की और तीसरी स्थिति में 500 अंकों की होती है।

जिनके पास ज़्यादा नंबर होते है वो जीतते है।इसी प्रकार जो खिलाड़ी अपनी सभी गोटियों को और लाल गोटी को अपने पक्ष में सब से पहले डाल लेता है वही जीतता है।

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